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पिछले ५०० सालो में राजीव दीक्षित जैसा कोई व्यक्ति भारत में पैदा ही नहीं हुआ तो मै भी सोच में पड गया और मै उनकी इन बातों का कार जानने के लिए हर पहलू पर विचार किया तो पाया की वास्तविकता यही है की राजीव भाई में इतनी शक्ति होते हुए भी उनकी नैतिकता का कोई शानी नहीं है।

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जीवन मे महत्वपूर्ण उपयोगी 1500+ पुस्तके।।

1. वैदिक गणित की 3 पुस्तकें, 2. वेद पुराण की सभी पुस्तकें 3. 350 लघु और कुटीर उद्योग पुस्तकें 4. श्री राजीव दीक्षित पुस्तकें 5. आयुर्वेदिक पुस्तकें(अष्टांगहृदय सहित)6. सनातन धर्म पर आधारित 500 पुस्तकें 7. मोटिवेशन बुक्स 8. धन कमाने की पुस्तकें9. Competitive Exam Books (400 Books)

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दुनिया में आयुर्वेद ही एक मात्र शास्त्र या चिकित्सा पद्धति है, जो मनुष्य को निरोगी जीवन देने की गारंटी देता है। बाकी अन्य सभी चिकित्सा पद्धतियों में पहले बीमार बने फिर आपका इलाज किया जायेगा, लेकिन गारंटी कुछ भी नहीं है। आयुर्वेद एक शाश्वत एवं सातत्य वाला शास्त्र हैं। इसकी उत्पत्ति सृष्टि के रचियता श्री ब्रह्माजी के द्वारा हुई ऐसा कहा जाता है। आयुर्वेद में निरोगी होकर जीवन व्यतीत करना ही धर्म माना गया है।  [अधिक जाने]

आज इस देश में बेरोजगारों की एक विशालकाय फौज खड़ी हो गई है। यह हरकत में आएगी तो देश का ही विनाश करेगी। सरकारों के पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। वे समाधान के प्रति ईमानदार भी नहीं हैं, क्योंकि बेरोजगारी जैसे मुद्दे के सहारे उनकी राजनीति सधती है। ऐसे में देश के बेरोजगार युवकों से मेरी अपील यही है कि वे नौकरियों के पीछ बहुत समय न गँवाते हुए स्वदेशी उद्योग-धन्धे खड़े करने के काम में लगें तो उनका और राष्ट्र, दोनों का भला होगा। इस देश में स्वावलम्बन की अपार संभावनाएं हैं। [अधिक जाने]

आज जहाँ भी रहते हैं । उसके आस-पास सैकड़ों स्वदेशी वस्तुएं बनती हैं, कृप्या आप इनके बारे में जानकारी करें और उन स्वदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग एवं प्रचार करें । रातों-रात कोई भी स्वदेशी वस्तु विदेशी हो सकती हैं । भारत के बाजार में वैश्वीकरण की प्रक्रिया के बाद बहुत सारे ब्राण्ड वस्तुएँ स्वदेशी से विदेशी हो जाती हैं । कृपया आप अपने स्तर से अखबारों एवं पत्रिकाओं के माध्यम से इस सन्दर्भ में ताजा जानकारी करते रहें । [अधिक जाने]

गोमूत्र माने देशी गाय (जर्सी नहीं) के शरीर से निकला हुआ सीधा साधा मूत्र जिसे सती के आठ परत की कपड़ो से छान कर लिया गया हो। गोमूत्र वात और कफ को अकेला ही नियंत्रित कर लेता हैं। पित्त के रोगों के लिए इसमें कुछ औषधियाँ मिलायी जाती हैं। आधा कप देशी गाय का गोमूत्र सुबह पीने से दमा अस्थमा, ब्रोन्कियल अस्थमा सब ठीक होता हैं और गोमूत्र पीने से टीबी भी ठीक हो जाता हैं, लगातार पांच छह महीने पीना पड़ता हैं।[अधिक जाने]

हमारे गुरुकुलों में ऋषि – महार्षिओं ने पुरुषों की 72 कलाओं एवं स्त्रीओं की 64 कलाओं का प्रशिक्षण देकर भौतिक क्षेत्र में भी सभी को सामर्थवान् बना दिया था। सिर्फ इतना ही नहीं, उन कलाओं को धर्मकला से नियन्त्रित करके उन्हें आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर भी किया था। आज से 200 वर्ष पहले तक जिस प्रकार की उत्तम शिक्षा भारत में दी जाती थी, वैसी विश्व के किसी भी देश में नही दी जाती थी। अंग्रेजों के आगमन से पहले शिक्षा और विद्या प्रचार के क्षेत्र में भारत दुनिया के देशों में सबसे अग्रणी माना जाता था। हमारे प्राचीन भारत में शत-प्रतिशत साक्षरता थी। [अधिक जाने]

भारत में कम ही लोग जानते हैं कि वैदिक गणित नाम का भी कोई गणित हैं। जो जानते भी हैं, वे इसे विवादास्पद मानते हैं कि वेदों में किसी अलग गणना प्रणाली का उल्लेख हैं, पर विदेशों में बहुत से लोग मानने लगे हैं कि भारत की प्राचीन वैदिक विधि से गणित के हिसाब लगाने में न केवल मजा आता हैं, उससे आत्मविश्वास मिलता हैं और स्मरणशक्ति भी बढ़ती हैं, मन ही मन हिसाब लगाने की यह विधि भारत के स्कूलओं में शायद ही पढ़ाई जाती हैं। भारत के शिक्षाशास्त्रियों का अब भी यही विश्वास हैं कि असली ज्ञान-विज्ञान वही हैं,  जो इंग्लैण्ड-अमेरिका से आता हैं। [अधिक जाने]

इस देश में हिंसक व्यवस्थाओं के कारण भारत का किसान बर्बाद हुआ और भारत की खेती बर्बाद होती चली गई और तकलीफ हमारी यह है कि जिस तरह से अंग्रेजों की सरकार ने भारत की खेती को बर्बाद किया था। जिन नीतियों और जिन कानूनों के चलते भारत के किसान की बर्बादी आयी थी। वो सारी की सारी नीतियां वो सारे के सारे कानून आज भी चल रहे हैं।  उदाहरण के लिए जो ‘लेण्ड एक्यूजीशनस एक्ट अंग्रेजों ने बनाया वो आज आजादी के पचास साल के बाद भी चलता। जो ‘इंडियन फारेस्ट एक्ट अंग्रेजों ने बनाया था वो आज आजादी के पचास साल के बाद भी चलता है। जो कानून अंग्रेजों ने बनाया किसानों के पैदा किये हुए अनाज का दाम तय करने के लिए वो कानून इस देश में आज भी चलता है।[अधिक जाने]

 प्राकृतिक संसाधनों की भरभार है व पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं, फसलों की विविधताएं है, खनिज संसाधन है, काम करने वाले अनगिनत हाथ है, और असली बात यह है कि हमारे देश में प्रतिभा है। जरूरत सिर्फ दृढ़ संकल्प जगाने की है, हम बहुत कुछ कर सकते है। सचमुच आज देश में स्वदेशी व्यवस्था कायम करने की महती आवश्यकता है, अन्यथा, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की खतरनाक किस्म की आर्थिक गुलामी से हम बच नहीं पाएंगे। [अधिक जाने]