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भाग 1 और भाग 2 के साथ
(पेज - 111)
इस पुस्तिका के लिखने के पीछे उद्देश्य यह रहा है कि लोग अपनी जरूरत की अधिकांश वस्तुएं अपने घर में ही बना सकें या चाहें तो थोड़ी सी पूँजी लगाकर अपना उद्योग-धन्धा शुरू कर सकें और स्वावलंबी बनें। मेरी उत्कृष्ट इच्छा है कि भारत की धरती से बहुराष्ट्रीय कंपनियों का साम्राज्य नेस्तनाबूद हो और यह देश स्वावलंबी और उद्योगी राष्ट्र बनकर एक बार फिर से सारे संसार का सरताज बने। परंतु यह तभी हो सकता है जबकि हम लोग विदेशी सामानों के मोहपाश से छूटकर अपने जीवन में स्वदेशी अपनाने का संकल्प धारण करें
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